राखी की तीन कहानियां Three stories of Rakhi
सबसे पहले आप सभी को भाई – बहन से इस शुभ त्योहार रक्षाबंधन के अवसर की हार्दिक शुभकामनाए। मैं Actualpost.com राखी की तीन सबसे प्रसिद्ध कहानिया share कर रहा हु। शुरुआत से ही एक सवाल मन मे उठता है की आखिरकार यह राखी का त्योहार क्यो मनाया जाता है? इस त्योहार को मनाने के पीछे कोई ठोस कारण तो पता नहीं है लेकिन अलग-अलग जगहो पर इस त्योहार के बारे मे बताया गया है।
पहली कहानी:-
दूसरी कहानी :-
तीसरी कहानी :-
स्कन्ध पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत में वामनावतार नामक कथा में रक्षाबन्धन का प्रसंग मिलता है। कथा कुछ इस प्रकार है- दानवेन्द्र राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयत्न किया तो इन्द्र आदि देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का वेष धारण कर राजा बलि से भिक्षा माँगने पहुँचे। गुरु के मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। भगवान ने तीन पग में सारा आकाश पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया। इस प्रकार भगवान विष्णु द्वारा बलि राजा के अभिमान को चकनाचूर कर देने के कारण यह त्योहार बलेव नाम से भी प्रसिद्ध है।
कहते हैं एक बार बाली रसातल में चला गया तब बलि ने अपनी भक्ति के बल से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान के घर न लौटने से परेशान लक्ष्मी जी को नारद जी ने एक उपाय बताया। उस उपाय का पालन करते हुए लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उसे रक्षाबन्धन बांधकर अपना भाई बनाया और अपने पति भगवान बलि को अपने साथ ले आयीं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी। विष्णु पुराण के एक प्रसंग में कहा गया है कि श्रावण की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने हयग्रीव के रूप में अवतार लेकर वेदों को ब्रह्मा के लिये फिर से प्राप्त किया था। हयग्रीव को विद्या और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
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बहुत ही बेहतरीन article लिखा है आपने। Share करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। 🙂 🙂
धन्यवाद। आप मेरी नवीन पोस्ट को actualpost.com पर भी पढ़ सकते है। वैसे आपने मेरा नया ब्लॉग पढ़ा मुझे काफी अच्छा लगा।
Kafi achi blog ha aap ke sir
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Thanks sir