क्रांतिकारी राजगुरु – Shivaram Rajguru biography in Hindi

नाम | शिवराम हरी राजगुरु |
जन्म | 24 August 1908 Rajgurunagar(Khed) |
मृत्यु | 23 March 1931 Lahore, Pakistan |
पिता | Hari Narayana |
माता | Parvati Bai |
Shivaram Rajguru शिवराम हरी राजगुरु
महान क्रांतिकारी राजगुरु का पूरा नाम शिवराम हरी राजगुरु था। ये भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारीयो मे से एक थे।भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव तीनों ने भारत की आजादी के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया एवं अंत मे वीरगति प्राप्त कर ली। तो आइये जानते है महान क्रांतिकारी राजगुरु के बारे मे –
जन्म एवं बचपन
महान स्वतंत्रता सेनानी राजगुरु जी का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे के खेड़ा नामक गाँव में हुआ था। राजगुरु की बायल्यावस्था मे उनके पिता का देहांत Hari Narayana हो गया था। राजगुरु बचपन से ही बड़े वीर और वीर थे। राजगुरु वीर शिवाजी और लोकमानी तिलक को बहुत चाहते थे और अन्य शब्दो मे कहे थे बहुत बड़े fan थे।
किशोर अवस्था मे आने के बाद उनमे देशबकती की भावना की ज्वाला फुट गयी। वे 16 वर्ष की उम्र मे हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी में शामिल हो गये। उनका और उनके साथियों का मुख्य मकसद था ब्रिटिश अधिकारियों के मन में खौफ पैदा करना और साथ ही लोगों को आज़ादी के लिये जागरूक करना।
क्रांतिकारी राजगुरु – Shivaram Rajguru biography in Hindi
क्रांतिकारी जीवन
वर्ष 1925 में काकोरी कांड के बाद क्रान्तिकारी दल बिखर गया था। पुनः पार्टी को स्थापित करने के लिये बचे हुये सदस्य संगठन को मजबूत करने के लिये नये-नये युवकों को अपने साथ जोड़ रहे थे। इसी समय राजगुरु की मुलाकात मुनीश्वर अवस्थी से हुई। अवस्थी के सम्पर्कों के माध्यम से ये क्रान्तिकारी दल से जुड़े। इस दल में इनकी मुलाकात श्रीराम बलवन्त सावरकर से हुई। इनके विचारों को देखते हुये पार्टी के सदस्यों ने इन्हें पार्टी के अन्य क्रान्तिकारी सदस्य शिव वर्मा (प्रभात पार्टी का नाम) के साथ मिलकर दिल्ली में एक देशद्रोही को गोली मारने का कार्य दिया गया। पार्टी की ओर से ऐसा आदेश मिलने पर ये बहुत खुश हुये कि पार्टी ने इन्हें भी कुछ करने लायक समझा और एक जिम्मेदारी दी। परंतु उन्होने गलती से किसी other व्यक्ति को गोली मार दी।
मृत्यु
पुलिस ऑफीसर की हत्या के बाद राजगुरु नागपुर में जाकर छिप गये। इससे पहले कि वे आगे की योजना पर चलते पुणे जाते वक्त पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इन तीनों क्रांतिकारियों के साथ 21 अन्य क्रांतिकारियों पर 1930 में नये कानून के तहत कार्रवाई की गई और 23 मार्च 1931 को एक साथ तीनों को सूली पर लटका दिया गया।
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